Bahuvrihi Samas in Hindi – इस आर्टिकल में हम बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं, बहुव्रीहि समास के प्रकार और उनके भेदों को उदाहरण के माध्यम से पढ़ेंगे। इस टॉपिक से सभी परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते है। हम यहां पर बहुव्रीहि समास के सभी भेदों/प्रकार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी लेके आए है। hindi में बहुव्रीहि समास से संबंधित बहुत सारे प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं और राज्य एवं केंद्र स्तरीय बोर्ड की सभी परीक्षाओं में यहां से questions पूछे जाते है। Bahuvrihi Samas in Hindi के बारे में उदाहरणों सहित इस पोस्ट में सम्पूर्ण जानकारी दी गई है। तो चलिए शुरू करते है –

बहुव्रीहि समास की परिभाषा | Bahuvrihi Samas Ki Paribhasha
बहुव्रीहि समास – इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते है।
बहुव्रीहि समास के उदाहरण (Bahuvrihi Samas Ke Udaharan)
इंद्र
✦ देवराज – देवों का राजा – इंद्र
✦ नाकपति – नाक (स्वर्ग ) का पति – इंद्र
✦ शचीपति – शची का पति – इंद्र
✦ वज्रपाणि – वज्र है जिसके पाणि (हाथ ) में – इंद्र
✦ वज्रायुध – वज्र है आयुध जिसके – इंद्र
✦ सहस्त्राक्ष – वह जिसके सहस्त्र अक्षि ( आँखे ) है – इंद्र
कृष्ण
✦ गिरिधर – गिरी को धारण करने वाला – कृष्ण
✦ घनश्याम – गहन के सामान श्याम है जो – कृष्ण
✦ पीतांबर – पीत ( पीले ) है अंबर जिनके – कृष्ण
✦ बज्रवल्लभ – ब्रज का वल्लभ (स्वामी ) – कृष्ण
✦ मुरारि – मुर ( एक राक्षस ) का अरि (शत्रु ) – कृष्ण
✦ नन्दलाल – नन्द का लाल – कृष्ण
✦ देवकीनंदन – देवकी का नंदन है जो – कृष्ण
✦ गोपीनाथ – गोपियों का नाथ – कृष्ण
✦ मुरलीधर – मुरली को धारण करने वाला – कृष्ण
✦ कंसारी – कंस का अरि – कृष्ण
✦ बंसीधर – बंसी को धारण करने वाला – कृष्ण
गणेश –
✦ लम्बोदर – लंबा है उदर जिसका – गणेश
✦ वक्रतुण्ड – वक्र है तुण्ड जिनका – गणेश
✦ गणपति – गणों का पति है जो – गणेश
✦ गजानन – जिसके गज के सामान आनन है – गणेश
✦ गणनायक – गणों का नायक है जो – गणेश
✦ एकदन्त – एक है दन्त जिनके – गणेश
कामदेव
✦ रतिकांत – रति का कांत (पति) – कामदेव
✦ अनंग – बिना अंग का – कामदेव
✦ कुसुमशर – कुसुम के शर है जिसके – कामदेव
✦ पुष्पधन्वा – पुष्पों का धनुष है जिसका – कामदेव
✦ मनोज – में में जन्म लेता है जो – कामदेव
✦ मकरध्वज – मकर है ध्वज जिसका – कामदेव
शिव
✦ शूलपाणि – शूल है पाणि में जिनके – शिव
✦ नीलकंठ – नीला है कंठ जिनका – शिव
✦ महेश्वर – महान है ईश्वर जो – शिव
✦ पशुपति – पशु का पति – शिव
✦ इंदुशेखर – इंदु (चन्द्रमा ) है शेखर ( सिर) पर जिनके – शिव
✦ आशुतोष – आशु (शीघ्र ) तुष्ट हो जाते है जो – शिव
✦ भूतेश – भूतों का ईश – शिव
✦ सतीश – सती( पार्वती ) का ईश है जो – शिव
✦ बाघांबर – बाघ के अंबर जिसके – शिव महादेव – महान है जो देव – शिव
✦ गौरीशंकर – गौरी का शंकर है जो – शिव
✦ मदनरिपु – मदन (कामदेव ) का रिपु – शिव
✦ चंद्रमौलि – चंद्र है मौलि (मस्तक ) पर जिनके – शिव
✦ चंद्रचूड़ – चंद्र है चूड़ (सिर ) पर जिनके – शिव
✦ विधुशेखरपंचानन – पांच है आनन जिनके – शिव
✦ विधुशेखर – विधु (चन्द्रमा ) है शेखर पर जिनके – शिव
हनुमान
✦ महावीर – महान है जो वीर – हनुमान
✦ पवनपुत्र – पवन है जो पुत्र – हनुमान
✦ अंजनिसुत – अंजनी का सुत – हनुमान
✦ कपीश – कपियों ( वानर ) का ईश – हनुमान
✦ कपीश्वर – कपियों का ईश्वर – हनुमान
✦ वज्रांग – वज्र के समान अंग वाला – हनुमान
✦ वज्रदेह – वज्र के समान देह वाला – हनुमान
सरस्वती
✦ वीणावादिनी – वीणा का वादन करने वाली – सरस्वती
✦ वीणाधारिणी – वीणा को धारण करने वाली – सरस्वती
✦ वीणापाणि – वीणा है पाणि ( हाथ ) में जिनके – सरस्वती
✦ वाग्देवी – वाक् (भाषा ) की देवी – सरस्वती
✦ पद्मासना – पद्म ( कमल ) का आसन है जिनके – सरस्वती
✦ वागीश्वरी – वाक् की ईश्वरी – सरस्वती
विष्णु
✦ श्रीश – श्री (लक्ष्मी ) के ईश – विष्णु
✦ चक्रपाणि – चक्र है पाणि में जिनके – विष्णु
✦ नारायण – नारा (जल ) में है अयन (स्थान ) जिनका – विष्णु
✦ लक्ष्मीपति – लक्ष्मी के है पति जो – विष्णु
✦ मधुरिपु – मधु ( एक दैत्य ) के रिपु ( शत्रु ) – विष्णु
✦ गरुड़ध्वज – गरुड़ का ध्वज है जिनके – विष्णु
✦ पुण्डरीकाक्ष – पुण्डरीक (नील कमल ) के सामान है जसकी अक्षि (आँख ) – विष्णु
✦ हृषिकेश – हृषीक (इन्द्रियों ) के ईश – विष्णु
✦ शेषशायी – शेष (नाग ) पर शयन करने वाले – विष्णु
✦ पदमनाभ – पदम् है नाभि में जिनके – विष्णु
राम
✦ रघुपति – रघु (वंश ) का पति – राम
✦ दशरथनन्दन – दशरथ के नंदन – राम
✦ सीतापति – सीता के पति – राम
सीता
✦ जनकसुता – जनक की सुता (पुत्री ) – सीता
रावण
✦ दशानन – देश है आनन् ( सिर ) जिसके – रावण
✦ लंका का पति ( स्वामी ) -रावण
कार्तिकेय
✦ मयूरवाहन – मयूर है वाहन जिनका – कार्तिकेय
✦ षडानन – षट आनन है जिनके – कार्तिकेय
✦ षण्मुख – षट मुख है जिनके – कार्तिकेय
बलराम
✦ हलधर – हल को धारण करने वाला – बलराम
✦ रोहिणीनन्दन – रोहिणी के नंदन – बलराम
✦ रेवतीरमण – रेवती (बलराम की पत्नी ) के साथ रमन करने वाले – बलराम
पार्वती
✦ हिमतनया- हिम (हिमालय ) की तनया(पुत्री ) – पार्वती
✦ शैलनन्दिनी – शैल (हिमालय ) की नंदिनी ( पुत्री ) – पार्वती
ब्रह्मा
✦ नाभजन्मा – नाभि से जन्मे है जो – ब्रह्मा
✦ चतुरानन – चार आनन है जिनके – ब्रह्मा
सूर्य
✦ अंशुमाली – अंशु (किरणों ) की माला वाला – सूर्य
✦ दिवाकर – दिवा (दिन ) में कर (किरणें) देने वाला – सूर्य
चन्द्रमा
✦ सुधाकर – सुधा की कर वाला – चन्द्रमा
✦ निशाकर – निशा ( रात ) की कर(किरणों ) वाला – चन्द्रमा
✦ सुकेशी – सुंदर है केश (किरणें ) जिसके – चन्द्रमा
अन्य उदहारण –
✦ सूतपुत्र – सुत (सारथी ) का पुत्र – कर्ण
✦ नीरद – नीर ( जल ) देने वाला – बादल
✦ नरेश – नरों का ईश – राजा
✦ चारपाई – चार है पाए जिसके – खाट
✦ कुसुमाकर – कुसुमों का खजाना है जो – वसंत
✦ पतझड़ – पत्ते झड़ते है जिसमें – एक ऋतु
✦ बारहसिंगा – बारह है सींग जिसके – एक मृग
✦ महात्मा – महान आत्मा (व्यक्ति ) – गांधीजी
✦ श्वेताम्बर – सफ़ेद वस्त्र वाला – जैन मुनि
✦ कलमुँहा – काला है मुँह जिसका – लांछित व्यक्ति
✦ करुणासागर – करुणा का सागर – दयालु व्यक्ति
✦ खगेश – खगों का ईश – गरुड़
✦ कूपमंडूक – कूप का मंडूक (मेंढक ) – सीमित ज्ञानवाला
✦ जितेन्द्रिय – इन्द्रियों को जीतने वाला – कामनारहित
✦ दीनानाथ – दीनों का नाथ – ईश्वर
✦ परलोकगमन – पर(अन्य ) लोक में गमन – मृत्यु
✦ प्रज्ञाचक्षु – प्रज्ञा के चक्षु जिसके – नेत्रहीन , अंधा
✦ ब्रह्मपुत्र – ब्रह्म का पुत्र – एक नदी
✦ मंदोदरी – मंद (पतला ) है उदर (पेट ) जिसका – रावण की पत्नी
✦ मक्खीचूस – मक्खी को चूसने वाला – कंजूस
✦ महीप – मही (पृथ्वी ) का पालन करने वाला – राजा
✦ सिंहवाहिनी – सिंह के वाहन वाली – दुर्गा
✦ स्वर्गवास – स्वर्ग में वास – मृत्यु
✦ पतिव्रता – पति ही व्रत है जिसका – पतिनिष्ठ पत्नी
✦ पाणिग्रहण – पाणि (हाथ ) का ग्रहण करना (वर-वधु का ) – हिन्दू विवाह
✦ भूपति – भू का पति – राजा
✦ रत्नगर्भा – रत्न है गर्भ में जिसके – पृथ्वी
✦ वसुंधरा – वसु (रत्न,धन ) को धारण करने वाली – पृथ्वी
✦ विषधर – विष को धारण करने वाला – साँप/ शिव
✦ तिरंगा – तीन रंगों वाला – भारत का राष्ट्रध्वज
✦ त्रिमूर्ति – तीन मूर्तियों का समूह (विशेष ) – ब्रह्मा,विष्णु,महेश
द्विगु समास तथा बहुब्रीहि समास में अंतर –
इन दोनों समासों में अंतर समझने के लिए इनके विग्रह को देखना होगा। द्विगु समास का पहला पद संख्यावाचक होता है जबकि बहुब्रीहि समास में समस्त पद संज्ञा ,विशेषण का कार्य करते है।
जैसे –
✦ दशानन – दस है आनन् जिसके (बहुब्रीहि समास)
✦ दशानन – दस आननो का समूह ( द्विगु समास )
✦ चतुर्भुज – चार है भुजा जिसके ( बहुब्रीहि समास )
✦ चतुर्भुज – चार भुजाओ का समूह ( द्विगु समास )
कर्मधारय समास तथा बहुब्रीहि समास में अंतर
कर्मधारय समास में कोई एक पद विशेषण या उपमान होता है तो दूसरा पद विशेष्य या उपमेय होता है।
जैसे –
✦ नीलकमल – नीला है जो कमल , इसमें नीला विशेषण तो कमल विशेष्य है।
✦ चरणकमल – कमल के समान चरण
✦ बहुब्रीहि समास में समस्त पद संज्ञा , विशेषण का कार्य करते है
जैसे –
चक्रधर – चक्र को धारण करने वाला , कृष्ण
( यह पर चक्रधर श्री कृष्ण की विशेषता बता रहा है। )
समास के अन्य भेद –
1. अव्ययी भाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. द्विगु समास
5. द्वंद्व समास
दोस्तो हमने इस आर्टिकल में Bahuvrihi Samas in Hindi के साथ – साथ Bahuvrihi Samas kise kahate hain, Bahuvrihi Samas ke bhed के बारे में पढ़ा। हमे उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। आपको यहां Hindi Grammar के सभी टॉपिक उपलब्ध करवाए गए। जिनको पढ़कर आप हिंदी में अच्छी पकड़ बना सकते है।